नमस्कार, प्रिय पाठकों! आज हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे जो आपके दैनिक वित्तीय लेन-देन से जुड़ा है। टैक्स 2025 के तहत, सरकार ने बैंक खातों से नकद निकासी पर टैक्स लगाने का प्रावधान किया है। यह नया नियम आपके वित्तीय व्यवहार को कैसे प्रभावित करेगा, आइए विस्तार से समझते हैं।
नया नियम: नकद निकासी पर टैक्स
आयकर अधिनियम की धारा 194N के तहत, यदि आप एक वित्तीय वर्ष में अपने बैंक, सहकारी बैंक या डाकघर से ₹20 लाख से अधिक नकद निकालते हैं, और आपने पिछले तीन वर्षों से आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल नहीं किया है, तो आपको 2% टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) का भुगतान करना होगा।
यदि आपने नियमित रूप से आयकर रिटर्न दाखिल किया है, तो यह सीमा बढ़कर ₹1 करोड़ हो जाती है, जिसके बाद 2% टीडीएस लागू होगा।
किसे होगा अधिक प्रभाव?
यह नियम विशेष रूप से उन व्यक्तियों और व्यवसायों को प्रभावित करेगा जो बड़े पैमाने पर नकद लेन-देन करते हैं:
- व्यापारी और दुकानदार: दैनिक नकद लेन-देन करने वाले व्यापारियों को अपनी निकासी की योजना बनानी होगी ताकि वे निर्धारित सीमा के भीतर रहें।
- किसान और ग्रामीण क्षेत्र के निवासी: जहां डिजिटल लेन-देन की पहुंच सीमित है, वहां नकद निकासी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी।
- स्व-नियोजित पेशेवर: वकील, डॉक्टर, फ्रीलांसर आदि, जो नकद भुगतान प्राप्त करते हैं, उन्हें भी इस नियम का ध्यान रखना होगा।
सरकार का उद्देश्य
इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य काले धन पर नियंत्रण और डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना है। नकद लेन-देन पर निगरानी से कर चोरी पर अंकुश लगेगा और अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी।
टैक्स से बचने के उपाय
यदि आप इस टैक्स से बचना चाहते हैं, तो निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- डिजिटल लेन-देन को प्राथमिकता दें: ऑनलाइन बैंकिंग, UPI, क्रेडिट/डेबिट कार्ड आदि का उपयोग करें।
- नकद निकासी की योजना बनाएं: आवश्यकतानुसार नकद निकालें और सीमा का ध्यान रखें।
- आयकर रिटर्न नियमित रूप से दाखिल करें: इससे आप उच्चतर निकासी सीमा का लाभ उठा सकते हैं।
Conclusion- Tax 2025
टैक्स 2025 के तहत नकद निकासी पर टैक्स का प्रावधान आपके वित्तीय लेन-देन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। इसलिए, अपने नकद लेन-देन की योजना बनाएं, डिजिटल माध्यमों का अधिक से अधिक उपयोग करें, और नियमित रूप से आयकर रिटर्न दाखिल करें ताकि अनावश्यक टैक्स से बचा जा सके।
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